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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

क्रोध एक भयानक प्रबल शत्रु

क्रोध एक भयानक प्रबल शत्रु
जहाँ जरा सी प्रतिकूलता सहन करना सम्भव नहीं ,
वहाँ प्रभु प्रेम में सब कुछ फूँक कर मस्त होने की आशा कैसे की जा सकती है
क्रोध एक ऐसी अग्नि है जो सारे शरीर में ज्वाला फूँक देती है
और जिसका तन-मन इसमें धधक उठता है ,उससे भजन कहाँ सम्भव है
जब तक क्रोध है,तब तक परमार्थ अर्थात् सहजता,सभ्यता और सरलता पाना कठिन है।
अतः जगत और भगवत्प्राप्ति दोनों के लिए ही क्रोध का नाश परमावश्यक है
-वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Shyam Kumar said

Bilkul sach...krodh hmara sbse bada satru ha jo hame andar hi andar khaa jata ha or hame pta bhi nahi lgta.

वन्दना सूद replied

Silent killer ✍️

Lekhram Yadav said

Well said dear Madam thanks for such a great advice.

वन्दना सूद replied

Nahi sir advice nahi hai 🙏ye to kuch granth ki kahi seekh hai jo hum sabke liye hai

नेत्र प्रसाद गौतम said

नमस्कार बंदना सूद जी क्रोध हर किसी का शत्रु है क्रोध से हर काम बिगड़ता ही है इसी लिए हम सभी को क्रोध को त्यागना चाहिए आप ने क्रोध के विषय पर बहुत अच्छा लिखा है ये हम को एक अच्छी सीख भी देती है आप को विशेष धन्यवाद।

वन्दना सूद replied

आभार तो हमारे ग्रन्थों का है इसलिए उन्हीं को धन्यवाद 🙏😊

Komal Raju said

Krodh to ghar ko ujad deta ha, risto ko bigad deta ha. To apna hi nukasan ha isme. Sab smjh jaye to achaa ha.

वन्दना सूद replied

बिल्कुल सही कहा आपने 😊🙏

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