कापीराइट गजल
मुझ को सताया है बहुत
एक गलतफ़हमी ने मुझको सताया है बहुत
हर एक आंख ने फिर आंसू बहाया है बहुत
क्यूं हुआ है ऐसा ये भी समझ पाए न हम
इसी, दर्द ने इस दिल को, सताया है बहुत
यही, बात इतने दिन तक, सोचते रहे हम
इसीलिए, तो अब तक, होश खोया है बहुत
धुआं-धुआं सा है आसमां और ये हवाएं भी
अब इसी गम ने ये गरदा, उठाया है बहुत
झूठे है सभी इल्ज़ाम जो लगाए हैं तुम पर
देर से ही सही हमको समझ आया है बहुत
हो सके तो मुझको तुम भी माफ कर देना
अन्जाने, में तेरा दिल भी, दुखाया है बहुत
किस मुंह से आएं हम, अब तुम्हारे सामने
तभी तो हम ने यह चेहरा, छुपाया है बहुत
अगर माफ कर पाओ ना अब तुम हम को
कुबूल है हर सजा जो अब सुनाया है बहुत
दर्द किस से यह दिल का करे सांझा यादव
तुम्हारी यादों ने हर पल यूं रूलाया है बहुत
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







