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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

मुझे सताया है बहुत

कापीराइट गजल

मुझ को सताया  है बहुत

एक गलतफ़हमी ने मुझको सताया है बहुत
हर एक आंख ने फिर आंसू बहाया है बहुत

क्यूं हुआ है ऐसा ये भी समझ पाए न हम
इसी, दर्द ने इस दिल को, सताया है बहुत

यही, बात इतने दिन तक, सोचते रहे हम
इसीलिए, तो अब तक, होश खोया है बहुत

धुआं-धुआं सा है आसमां और ये हवाएं भी
अब इसी गम ने ये गरदा, उठाया है बहुत

झूठे है सभी इल्ज़ाम जो लगाए हैं तुम पर
देर से ही सही हमको समझ आया है बहुत

हो सके तो मुझको तुम भी माफ कर देना
अन्जाने, में तेरा दिल भी, दुखाया है बहुत

किस मुंह से आएं हम, अब तुम्हारे सामने
तभी तो हम ने यह चेहरा, छुपाया है बहुत

अगर माफ कर पाओ ना अब तुम हम को
कुबूल है हर सजा जो अब सुनाया है बहुत

दर्द किस से यह दिल का करे सांझा यादव
तुम्हारी यादों ने हर पल यूं रूलाया है बहुत

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

सरिता पाठक said

बहुत hi सुन्दर ग़ज़ल बेहतरीन रचना, बड़े ही लम्बे अंतराल के बाद आपकी रचना पढ़ने को मिली अच्छा लगा आदरणीय बड़े भईया जी ko सादर नमस्कार 👌🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद बहना।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह!! सर जी सादर प्रणाम 🙏🌹 रिश्तों के बीच तो गलतफहमियां होती रहती है। जिन्हें हम सताते हैं स्वयं ही ज्यादा तकलीफ़ में होतें हैं।पर गलतफहमियों का बादल जैसे ही छंट जाता है। प्यार और विश्वास पहले से ज्यादा बढ़ने लगता है। उम्दा सोंच उम्दा रचना, जिंदगी के खूबसूरत अनुभवों का साझाकरण।👌👌🙏🙏🌹🌹

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद समदिल भाई।

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

वाह! बहुत ख़ूब! बेहतरीन रचना, यादव जी! आदाब! 👌👌👏👏❤️🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद अहमद भाई।

रीना कुमारी प्रजापत said

Dard bhari gazal..... Apno se maafi ki zarurat nahi hoti hai...or rhi baat dard sanjha krne ki to jiske liye ye gazal likhi gai hai unse hi sanjha kijiye unse baat kr acha lagega aapko.... Baaki gazal bahut sundar hai hamehsa ki hi tarah.. lajawab bemisaal 👌👌👍👍🙏🙏sadar pranaam aapko

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद बहना।

रीना कुमारी प्रजापत said

Bahut acchi baat hai galatfehmi dur ho gai.... Par kaise hui hume bhi bataiyega taaki kabhi hum bhi galatfehmi ka shikar ho kabhi to ye sikh kaam aayegi humare

Lekhram Yadav replied

सच कहूं तो क्या मानोगी और माफ करोगी क्या, यह गजल मैंने सिर्फ और सिर्फ आपके लिए ही लिखी है, पूछो अपने दिल से, कि हमने आपसे क्या कुछ नहीं कहा। साॅरी, साॅरी, साॅरी मेरी छोटी प्यारी बहना। आपके अलावा हमने ना किसी से बात की और ना ही किसी से कुछ कहा।

रीना कुमारी प्रजापत said

Chhoti bahan se maafi nhin maangi jaati hai....or bade bhai se rutha nhi jata hai

Lekhram Yadav replied

आप ही बता दें हमें क्या करना चाहिए।

वेदप्रकाश वर्मा said

वाह! वाह! वाह! बहुत ख़ूब! 💐💐

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित सादर नमस्कार सर।

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