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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मोल भाव की कला

मोल भाव करना
है एक हुनर
जिसमें हमारा रूतबा
सदैव रहा निम्नतर

जो दाम मिल जाए
उसमें खरीद लेते हैं
कभी छुट्टे ना हो तो
रेजगारी भी छोड़ देते हैं

इस कला की
हमारी श्रीमती है धनी
एक दिन गलती से टोका
तो दोनों में ठनी

अरे देवीजी
क्यों इतना सौदा करना
चार पैसे बचाने को
जी हलकान करना

जो मांग रहा है
खुशी से दे दो
सामान उठाओ
घर की राह ले लो

जवाब मिला
आप रहने ही दो
कुछ अच्छा नहीं
है कहने को

सेब के दाम में
लाते हो टमाटर
ऊपर से हमें
देते हो लेक्चर

आखिरी बार
जब गए थे मंडी
दुगने दाम में
लाए बासी भिंडी

कभी मुफ्त नहीं
लाये धनिया मिर्चा
जब देखो करते हो
फ़िज़ूल खर्चा

मोल भाव करना
एक कला है, सीखो
और पैसे उड़ाने से
पहले आमदनी देखो

बच्चों के कपड़े,
ट्यूशन और फीस
ससुर की दवा की
लंबी रसीद

ट्रेन की रफ़्तार से
तेज़ बढ़ती महंगाई
उमर बीत गई,
किये सफर हवाई

मोल भाव करके
कुछ पैसे बचाती हूं
तब जाकर घर खर्च
चला पाती हूं

अरे सरकारी बजट
बनते सालाना
पर यहां तो
बनता है रोजाना

शुक्र मनाओ मैं
तुम्हारी किस्मत में थी
वरना ताउम्र जुगाड़ते
राशन और सब्जी

उनका रौद्र रूप
देख हम सहम गये
शब्द और कदम
दोनो थम गये

बात समझ में
आ गई तुरंत ही
मोल भाव करना
जरूरत है शौक नहीं

चित्रा बिष्ट




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

वन्दना सूद said

बिल्कुल सही मोल भाव तो ज़रूरत है चेहरे की ख़ुशी के लिए तब तक तो लगता ही नहीं हम सामान लाए हैं पैसे बचाने का लालच नहीं है ये तो अपने क़ाबिलियत पर ग़ुरूर है 😂बहुत बढ़िया लिखा मज़ा आ गया पढ़ कर 👏👏

Chitra Bisht said

Sahi kaha Vandana ji...aajkal mall jaane waale ye kya samjhenge. Aapka shukriya

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