मेरी तन्हाई ने मुझे
क्या से क्या बना डाला,
किसी की जुदाई ने मुझे
मुकम्मल शायर बना डाला।
इस जहां की बे-रूख़ी ने मुझे
सख़्त बना डाला,
किसी अपने की ही बेखयाली ने मुझे
मुकम्मल शायर बना डाला।
मेरी ख़्वाहिशों ने मुझे ज़ुनूनी बना डाला,
किसी की मोहब्बत ने मुझे
मुकम्मल शायर बना डाला।
मेरी तहज़ीब ने मुझे
क्या से क्या बना डाला,
किसी की बेवफाई ने मुझे
मुकम्मल शायर बना डाला।
मेरी तालीम ने मुझे नामचीन बना डाला,
किसी की तबस्सुम ने मुझे
मुकम्मल शायर बना डाला।
मेरे हालात ने मुझे मेहनती बना डाला,
किसी के शायराना अंदाज़ ने मुझे
मुकम्मल शायर बना डाला।
मेरी मुफ़लिसी ने मुझे ग़मगीन बना डाला,
किसी की सोहबत ने मुझे
मुकम्मल शायर बना डाला।
मेरे इंतिक़ाम ने मुझे
क्या से क्या बना डाला,
किसी की रुसवाई ने मुझे
मुकम्मल शायर बना डाला।
-:"रीना कुमारी प्रजापत":-
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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