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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मुझे क्या से क्या बना डाला

मेरी तन्हाई ने मुझे
क्या से क्या बना डाला,
किसी की जुदाई ने मुझे
मुकम्मल शायर बना डाला।

इस जहां की बे-रूख़ी ने मुझे
सख़्त बना डाला,
किसी अपने की ही बेखयाली ने मुझे
मुकम्मल शायर बना डाला।

मेरी ख़्वाहिशों ने मुझे ज़ुनूनी बना डाला,
किसी की मोहब्बत ने मुझे
मुकम्मल शायर बना डाला।

मेरी तहज़ीब ने मुझे
क्या से क्या बना डाला,
किसी की बेवफाई ने मुझे
मुकम्मल शायर बना डाला।

मेरी तालीम ने मुझे नामचीन बना डाला,
किसी की तबस्सुम ने मुझे
मुकम्मल शायर बना डाला।

मेरे हालात ने मुझे मेहनती बना डाला,
किसी के शायराना अंदाज़ ने मुझे
मुकम्मल शायर बना डाला।

मेरी मुफ़लिसी ने मुझे ग़मगीन बना डाला,
किसी की सोहबत ने मुझे
मुकम्मल शायर बना डाला।

मेरे इंतिक़ाम ने मुझे
क्या से क्या बना डाला,
किसी की रुसवाई ने मुझे
मुकम्मल शायर बना डाला।

-:"रीना कुमारी प्रजापत":-




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

बहुत सुन्दर रचना, सादर प्रणाम। ।

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏🙏

श्रेयसी said

Kuch to majburiyaan rahi hogi Koi Yun hin bewafaa nahi hota🙏🙏 aap hamesha khush rahen 😁😁

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji shukriya 🙏🙏

Shiv Charan Dass said

इस रचना से आप सचमुच शायर हो गई हैँ

रीना कुमारी प्रजापत replied

आभार आपका 🙏

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