शिमले रिये ,
शोरिये शक्ला रिये ,
सच्ची भोलिये !
माए मेरिये ,
नी शिमले दी राहें ,
चंबा कि .. दूर !
कांगड़े दिया ,
उचिया रिडिया ओ,
बंसरी बज्जे !
चंबा आर के ,
नदिया पार, आवो
लाल रंगिये !
कुल्लू का गीत
"लाड़ी शावनीय" री
गोरु बोना री !
कपड़े धोयां ,
कन्ने रोयां कुंजुआ ,
ब्टन निशानी !
होरना पत्ना ,
इको इक्क बेड़ी जी ,
चम्बे पत्ने दो !
इक जोअड़ा ,
सूटे दा पहनण,
बाली दो जणी !
दुद्धा छोंलने,
रि बेला गुजरिए ,
चक्क मधाणी !
हुण तू क्तायें,
जो नसदा तुड़ुआ,
बापुएं लड़ !
डाडे बेडिये ,
सौकणी तू मेरिए ,
नदिया डूबी !
काला घघरा ,
सिलाई के धोबन ,
चल्ली पाणी जो !
पहर वेला ,
गईए नी बहुए
दिन चढ़ने !
✒️ राजेश कुमार कौशल
नोट : यह लोकगीतों के प्रति उत्सुक / शौकीन सज्जनों के लिए "हाइकु" के माध्यम से एक प्रयास है !