जिसके लिए लिखा पढ़ ले तो सुकून मिला।
जबाव कुछ आया नही तो मुझे क्या मिला।।
अब भी उसके वज़ूद से साँस चल रही मेरी।
तन्हा धड़कनों के शोर मचाने से क्या मिला।।
मुझे पता है उसका भी जीना दुश्वार सा होगा।
दूर जाने वाले शख्स को जाने से क्या मिला।।
उसका हर कारनामा दिल से याद आता मुझे।
दिन में भी तैरते ख्याल उगलने से क्या मिला।।
कभी बात कर तो समझूँगा सलामत 'उपदेश'।
तुझ पर ग़ज़ल कुर्बान करने से क्या मिला।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद