हे कृष्ण, तुम मेरे सारथी बन जाओ।
मन मंदिर में छाया अंधेरा,
अपने दिव्य प्रकाश से मेरे ह्रदय को प्रकाशित कर जाओ।
हे कृष्ण, मेरे सारथी बन जाओ।
ना मैं राधा जैसा प्रेम कर सकूँ,
ना मीरा जैसी भक्ति।
सच्ची श्रद्धा से तेरा वंदन कर लूँ,
दे दो इतनी शक्ति।
मन मेरा उलझन में पड़ा है,
राह में मेरी भटकन।
हाथ पकड़ सही दिशा दिखा दो,
ओ मेरे नंदनंदन।
तुम्हीं सखा मेरे, तुम्हीं पिता मेरे,
तुम्हीं हो प्रभु मेरे वंदन।
रूप बदल आ जाओ कन्हैया,
करती हूँ तेरा अभिनंदन।
सपने टूटे, अपने छूटे,
तन्हा खड़ी तेरी दासी।
सखा बन आ जाओ कन्हैया,
बन जाओ मेरे सारथी।
ह्रदय में तुम्हारे जगह ना चाहूँ,
चरणों की रज दे दो।
अपने अंश का एक कतरा
मुझको प्रभु मेरे दे दो।
हर सांस तेरी करे प्रतीक्षा,
आस ये पूरी कर दो।
बन जाओ तुम मेरे सारथी,
मुझे भवसागर से तर दो।
सरिता पाठक