कविता : मुर्दा लाश....
काफी दिन से एक
आदमी बीमार पड़ा है
चल फिर सकता नहीं
बेचारा बिस्तर में सड़ा है
कोई उसके पास भूल
से भी आते नहीं
अड़ोसी पड़ोसी भी
वहां जाते नहीं
जब वो एक दिन
मर गया तो
देह अपना त्याग
कर गया तो
सारे अड़ोस पड़ोस के दो
ढाई सौ लोग आ रहे
कई लोग वहां से शरीक
हो करके जा रहे
जीते जी इंसान को, इंसान
समझा नहीं खास
अब क्या फायदा मुर्दा
देख करके लाश
अब क्या फायदा मुर्दा
देख करके लाश.......
netra prasad gautam