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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मोहब्बत की दूकान में मुशायरा भाग-3

इधर उधर से

हरिया - भाई जी हमने दूकान तो खोल ली मगर मरीज अभी ठीक से आने शुरू नहीं हुए हैं, लगता है हमने विज्ञापन सही से नहीं दिया।
दरिया - भाई जी हमने लिखन्तु डाॅट काॅम पर विज्ञापन भेजा था और उन्होंने तत्काल ही विज्ञापन देकर अपना काम शुरू कर दिया था, हो सकता है उनके चैनल की टीआरपी बहुत ही कम हो।
हरिया - शायद ऐसा ही हो, मगर इसके लिए हमें कुछ खास करना पड़ेगा।
दरिया - हां भाई कुछ तो करना ही पड़ेगा, नहीं तो अपनी दूकान ही बन्द हो जाएगी।
हरिया - ठीक है पहले एक कार्यक्रम रखते हैं जिसका नाम होगा - 'आशिक मिलन समारोह '। हम पूरे देश के आशिकों को बुलाने के लिए एक विज्ञापन देंगे, जिसमें कार्यक्रम की सम्पूर्ण विशेषताओं का वर्णन होगा और आने जाने, खाने पीने, रहने और इलाज कराने की सुविधाओं के साथ-साथ दान दक्षिणा को विशेष रूप से हाईलाइट किया जाएगा।
दरिया - भाई ऐसा कयों।
हरिया - ऐसा इसलिए कि ज्यादा तर आशिक भूखे प्यासे, नंगे और फटेहाल होते हैं इतनी सुविधाएं देखकर वे खुद ही दौड़े चले आएंगे और मोहब्बत की दवा मुफ्त में मिल रही हो तो वे क्यों नहीं आएंगे। हम इसमें उन लेखकों, लेखिकाओं, कवियों, कवयित्रियों और शायरों के लिए भी अलग से एक कवि सम्मेलन करवाएंगे, जो लिखन्तु डाॅट काॅम पर अपनी कविता, गीत, गजल और लेख बड़े चाव से पोस्ट करते हैं, लेकिन कोई कमेन्ट करने वाला नहीं मिलता।
दरिया - बहुत सुन्दर विचार है। मगर कोई कमेन्ट क्यों नहीं करता।
हरिया - कमेंट इसलिए नहीं करते क्योंकि इसकी दो वजह हैं। पहली- ये लोग खुद की रचना पोस्ट करके खुद को अन्तरराष्ट्रीय स्तर का रचनाकार समझते हुए रचना तो पोस्ट कर देते हैं मगर वो इस हीन भावना के शिकार हैं कि यदि उसने किसी दूसरे की पोस्ट पर कमेंट कर दिया तो उसकी रचना को पूछने वाला कोई नहीं है जिसकी पोस्ट पर कमेंट किया वो पुरस्कार ले उड़ेगा, इसलिए वो कमेंट नहीं करते। दूसरी वजह यह है कि वे दूसरे को आगे जाने से रोकने के लिए भी ऐसा करते हैं।
दरिया - मैं समझा नहीं उदाहरण से समझाओ।
हरिया - भाई पहले एक चुटकला सुन । एक आदमी समुन्दर के किनारे नंगे हाथों से केकड़े पकड़ कर एक डब्बे में डाल रहा था।केकड़ा एक जहरीला जीव होता है, एक आदमी उधर से गुजर रहा था। उसने केकड़ा पकड़ने वाले से कहा,' भाई ये आपको काट लेंगे तो आप मर सकते हैं। केकड़े पकड़ने वाले ने जवाब दिया, भाई ये मुझे काटेंगे नहीं क्योंकि ये हिन्दुस्तानी केकड़े हैं, ये एक दूसरे की टांग खींच सकते हैं काट नहीं सकते। हमारे ये लेखक, लेखिका, कवि, कवियित्री और शायर अपनी पोस्ट पर तो कमेंट करने की दूसरों से अपेक्षा करते हैं मगर खुद वे दूसरों की पोस्ट पर कमेंट करने से गुरेज करते हैं।
दरिया - भाई बातों ही बातों में हम दरद से कराह रहे आशिकों को दवा देना तो भूल ही गए।
अगर आप कहें तो एक मुक्तक कह दूं।
हरिया - हां हां जरूर कहिए।
दरिया लीजिए अरज है -
अगर आंखें ये आपकी नशीली न होती
हम ने इतनी मुसीबतें ये झेली न होती
न ही आता कोई हमारे इस दवाखाने पर
गर ये मोहब्बत की दुकान खोली न होती

हंसना मना है।


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

Aaye haaye kya baat hai बहुत खूबसूरत शेर और ऊपर हरिया और दरिया की बातों ने लोट पोट कर दिया... मज़ा आ गया 😊🙏

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना। आपकी प्रतिक्रिया ने मेरी सुबह को और खुशनुमा बना दिया। आपको हार्दिक प्रणाम।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Sir ji pranam Suprabhaat, mohabbat ki dukaan to khoob chal rahi hai par wo kya h na hariya aur dariya ji muft m sab kuch de rahe h to sab bas le le kar ja rahe hain likes aur comments ka unhe kahan lihaz..vese mene like bhi kiya h aur comment bhi, iske utar bahut sundar shrankhala hasya evam vyang se paripurn...🙏🙏

Lekhram Yadav replied

नमस्कार सहित सुप्रभात सर। हां मुझे भी कुछ ऐसा ही लग रहा है जैसे लाईक और कमेंट करने वालों को सांप सूंघ गया है, खैर कोई बात नहीं हम अगले रविवार आशिक मिलन समारोह आयोजित करने जा रहे हैं और साथ ही एक कवि सम्मेलन भी आयोजित कर रहे हैं आप उसमें सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद सर।

फ़िज़ा said

Waah umda kalmkaari hasya aur vyang se lot pot kar diya✍️✍️

Bhushan Saahu said

Bahut bdiya hariya or dariya ki baat cheet bahut majedaar hain. Upr se aapka 4 line ka sher chaar chaand lga rha ha. Bahut bdiya likha ha.

Arpita pandey said

ओहो सर जी क्या बात है हरिया और दरिया की बातें लाजबाव है मुझे तो दरिया नाम बड़ा पसंद आ गया है सोच रही अपने प्रिंसिपल का नाम यहीं रख दूं वैसे तो उनका मुंह लटका ही रहता है क्या पता थोड़ा मुस्कुराना ही सीख ले मुक्तक ने इसमें चार चांद लगा दिए हैं

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित नमस्कार अर्पिता जी। अगर दरिया का नाम इतना पसंद आ गया तो जरूर अपने प्रिन्सिपल का नाम दरिया रख लीजिए, हमें कोई एतराज नहीं है। रह बात चार चांद की इसमें से दो आपको उपहार के रूप में भेज रहे हैं कृपया स्वीकार कीजिए।

Vineet Garg said

हमारा भी रजिस्ट्रेशन कर लीजिएगा अपनी मोहब्बत की दुकान में बहुत सुंदर लिखा आपने

Lekhram Yadav replied

विनीत गर्ग जी स्वागत है आपका, आपका रजिस्ट्रेशन हो गया है अगले रविवार हम आशिक मिलन समारोह का आयोजन कर रहे हैं, उसमें भी आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद।

कमलकांत घिरी said

वाह भई मजा आ गया पढ़कर नीचे लिखी मुक्तक तो बड़ी नशीली लग रही है सर जी 👌👌किंतु हम आपसे एक बात के लिए क्षमा मांगेंगे की हमने आपकी बातें नहीं सुनी और हंसी फूट ही गई। ।।प्रणाम।।🙏

Lekhram Yadav replied

भाई कमलकांत जी आपको क्षमा मांग ने की जरूरत नहीं। मैं महान कवि विलियम वर्ड वर्थ की एक बात को मानता हूं। उन्होंने अपने उपन्यास 'एज यू लाईक इट' में कहा है कि - मैं अपने दोस्तों से अधिक अपने आलोचकों को अधिक महत्व देता हूं,क्योंकि मेरे आलोचक मुझे मेरी कमियां बताते हैं और मैं उन कमियों को दूर करके स्वंय को सुधारने का प्रयास करता हू जो मुझे सफल बनाने में सहायक होते हैं और मेरे दोस्त सिर्फ चापलूसी करके मेरा धन खर्च करने में व्यस्त रहते हैं। अगर मैंने आपकी आलोचना की तो यह मत समझना कि आपको बुरा कहा, मैंने ऐसा कहा या किया तो आपको अपने काम को और अधिक सुधार कर करना चाहिए ताकि आपके लेखन की त्रुटियां दूर हो सके और उस मुकाम को हासिल कर सकें जिसके लिए प्रयास रत हैं। धन्यवाद सहित प्रणाम।

कमलकांत घिरी said

यहां आपने बहुत बढ़िया बात कही सर जी हम आपकी इन बातों को सदा ध्यान में रखेंगे और चाहेंगे की भविष्य में हमें आप जैसे ही मार्गदर्शक मिले, हम आपकी बातों से बहुत प्रभावित हुए हैं सर जी इस सीख के लिए आपका कोटि कोटि नमन ।🙏।।प्रणाम स्वीकार करें।।

Lekhram Yadav replied

कमलकांत भाई आपको भी सादर प्रणाम एवं धन्यवाद।

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