इधर उधर से
हरिया - भाई जी हमने दूकान तो खोल ली मगर मरीज अभी ठीक से आने शुरू नहीं हुए हैं, लगता है हमने विज्ञापन सही से नहीं दिया।
दरिया - भाई जी हमने लिखन्तु डाॅट काॅम पर विज्ञापन भेजा था और उन्होंने तत्काल ही विज्ञापन देकर अपना काम शुरू कर दिया था, हो सकता है उनके चैनल की टीआरपी बहुत ही कम हो।
हरिया - शायद ऐसा ही हो, मगर इसके लिए हमें कुछ खास करना पड़ेगा।
दरिया - हां भाई कुछ तो करना ही पड़ेगा, नहीं तो अपनी दूकान ही बन्द हो जाएगी।
हरिया - ठीक है पहले एक कार्यक्रम रखते हैं जिसका नाम होगा - 'आशिक मिलन समारोह '। हम पूरे देश के आशिकों को बुलाने के लिए एक विज्ञापन देंगे, जिसमें कार्यक्रम की सम्पूर्ण विशेषताओं का वर्णन होगा और आने जाने, खाने पीने, रहने और इलाज कराने की सुविधाओं के साथ-साथ दान दक्षिणा को विशेष रूप से हाईलाइट किया जाएगा।
दरिया - भाई ऐसा कयों।
हरिया - ऐसा इसलिए कि ज्यादा तर आशिक भूखे प्यासे, नंगे और फटेहाल होते हैं इतनी सुविधाएं देखकर वे खुद ही दौड़े चले आएंगे और मोहब्बत की दवा मुफ्त में मिल रही हो तो वे क्यों नहीं आएंगे। हम इसमें उन लेखकों, लेखिकाओं, कवियों, कवयित्रियों और शायरों के लिए भी अलग से एक कवि सम्मेलन करवाएंगे, जो लिखन्तु डाॅट काॅम पर अपनी कविता, गीत, गजल और लेख बड़े चाव से पोस्ट करते हैं, लेकिन कोई कमेन्ट करने वाला नहीं मिलता।
दरिया - बहुत सुन्दर विचार है। मगर कोई कमेन्ट क्यों नहीं करता।
हरिया - कमेंट इसलिए नहीं करते क्योंकि इसकी दो वजह हैं। पहली- ये लोग खुद की रचना पोस्ट करके खुद को अन्तरराष्ट्रीय स्तर का रचनाकार समझते हुए रचना तो पोस्ट कर देते हैं मगर वो इस हीन भावना के शिकार हैं कि यदि उसने किसी दूसरे की पोस्ट पर कमेंट कर दिया तो उसकी रचना को पूछने वाला कोई नहीं है जिसकी पोस्ट पर कमेंट किया वो पुरस्कार ले उड़ेगा, इसलिए वो कमेंट नहीं करते। दूसरी वजह यह है कि वे दूसरे को आगे जाने से रोकने के लिए भी ऐसा करते हैं।
दरिया - मैं समझा नहीं उदाहरण से समझाओ।
हरिया - भाई पहले एक चुटकला सुन । एक आदमी समुन्दर के किनारे नंगे हाथों से केकड़े पकड़ कर एक डब्बे में डाल रहा था।केकड़ा एक जहरीला जीव होता है, एक आदमी उधर से गुजर रहा था। उसने केकड़ा पकड़ने वाले से कहा,' भाई ये आपको काट लेंगे तो आप मर सकते हैं। केकड़े पकड़ने वाले ने जवाब दिया, भाई ये मुझे काटेंगे नहीं क्योंकि ये हिन्दुस्तानी केकड़े हैं, ये एक दूसरे की टांग खींच सकते हैं काट नहीं सकते। हमारे ये लेखक, लेखिका, कवि, कवियित्री और शायर अपनी पोस्ट पर तो कमेंट करने की दूसरों से अपेक्षा करते हैं मगर खुद वे दूसरों की पोस्ट पर कमेंट करने से गुरेज करते हैं।
दरिया - भाई बातों ही बातों में हम दरद से कराह रहे आशिकों को दवा देना तो भूल ही गए।
अगर आप कहें तो एक मुक्तक कह दूं।
हरिया - हां हां जरूर कहिए।
दरिया लीजिए अरज है -
अगर आंखें ये आपकी नशीली न होती
हम ने इतनी मुसीबतें ये झेली न होती
न ही आता कोई हमारे इस दवाखाने पर
गर ये मोहब्बत की दुकान खोली न होती
हंसना मना है।
सर्वाधिकार अधीन है