हम कैसे हैं ?
ये तुम क्या जानोगे ?
हम खुद ही खुद को समझ नहीं आते हैं,
तो फिर तुम क्या हमे समझोगे ?
हमे समझना नामुमकिन तो नहीं
पर थोड़ा मुश्किल ज़रूर है,
ऐसे है हम कि
अपने दुश्मन को भी गुमसुम देख नहीं पाते हैं।
वो हमे दर्द देकर खुश होता है तो
दुःखी हो लेते हैं क्योंकि हमे दर्द मिल रहा है,
पर जब उसे दर्द मिलता है तो
उसका वो दर्द हमसे सहन नहीं होता है और
हम और भी ज़्यादा दुःखी हो जाते हैं।
पता नहीं कैसा दिल दिया हमे रब ने,
कि उसका उतरा चेहरा हम देख नहीं सकते हैं।
ये जानते हुए भी
कि उसका चेहरा तो तभी खिलेगा जब वो हमे
रुसवा करेगा,
फिर भी उसके चेहरे पर मुस्कान की दुआ हम
हमेशा करते हैं।
~रीना कुमारी प्रजापत