है जन्नत मां के चरणों में,
है सुख स्वर्ग से बढ़कर।
दुखाना दिल कभी भी न,
अपने मां-बाप से लड़कर। ।
लहू से सींचती है मां,
पिता सींचे पसीने से।
कभी चुकता नहीं ये ऋण,
कहीं भी देख लो पढ़कर। ।
पिता आकाश से ऊंचा,
है माता भूमि से भारी।
श्रजन की शक्ति रखती है,
श्रृष्टि की मूल है नारी।।
मृत्यु के द्वार जाकर,
जिंदगी को जन्म देती है।
पिलाती दूध निःस्तन का,
लुटाती है खुशी सारी।।
Shikha Prajapati
Kanpur dehat