जिन्दगी का सफर,
यादों के मेले ,
खुशियां कम थीं ,
बहुतेरे थे झमेले !
अधूरी हसरतों के पाए,
शिथिल मन धन काय ,
राहगीर समझ न पाए ,
बोझ इतना कैसे उठाये ?
माथापच्ची मशविरा ज्ञान,
साधु-संतो की नेक सलाह,
संतोष सब गुणों की खान ,
निष्काम कर्म जीने की राह !
✒️ राजेश कुमार कौशल