कापीराइट गजल
मोहब्बत का खत ये हमने तेरे नाम लिखा
हम ने खत ये पहली बार तेरे नाम लिखा
बड़े प्यार से चूमा इस खत को हम ने पहले। हमने हाले दिल इसमें फिर तमाम लिखा
कबसे बेरंग थी न जाने ये दिल की दीवारें
दिल की दीवारों पे हमने तेरा नाम लिखा
अब मिलने की चाह में धड़क रहा है दिल
हर धड़कन पे हमने फिर तेरा नाम लिखा
कर दी है वसीयत हमने तेरे नाम दिल की
खत्म हुई स्याही लहू से तेरा नाम लिखा
अब है मर्जी तेरी दिल दे या इंकार करे
खत के आखिर में मैंने तुझे सलाम लिखा
सिर मुंडाते ही न पड़ जाएं ये ओले यादव
तभी तो तुम्हें हमने ये खत गुमनाम लिखा
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है