रास्तो को रंज मेरी परछाई का रहा।
हल्के अंधेरे में मसला तन्हाई का रहा।।
पत्तियाँ टूटकर मौंज-ए-हवा से मिली।
हर एक गुल पर कर्ज पुरवाई का रहा।।
वसंत जाते ही पागलपन रुख़्सत हुआ।
फिर भी 'उपदेश' जोर दवाई का रहा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




