घर में कोई बेवजह गुस्सा नहीं होता, न ही कोई बेवजह चिड़चिड़ा होता है। कोई यूँ ही मुंह नहीं फुलाता, न ही कोई बेवजह आँसू बहाता है। हर किसी की ज़िंदगी में कुछ ऐसी असहनीय परिस्थितियाँ होती हैं जो वो चाहकर भी किसी को बता नहीं पाता। वो दर्द, वो तकलीफ, वो अकेलापन जिसे शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता।
किसी पर इल्जाम लगाना आसान है, लेकिन उसकी जगह खुद को रखकर देखना बहुत मुश्किल। हमें उसके साथ खड़ा होना चाहिए, उसका सहारा बनना चाहिए, इसका खूबसूरत तरीका मोहब्बत में छिपा है। मोहब्बत ही 'उपदेश' एक दूसरे की ताकत बनकर तरोताजा रखने में अहम भूमिका अदा करती है।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद