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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

मैं काल हूं – कमलकांत घिरी

"मैं काल हूं....."

मैं शून्य हूं, निराकार हूं,
मैं ज्योति हूं, अंधकार मैं,
मैं ही सृजक विनाशक हूं मैं,
मैं कृष्ण हूं, मैं राम हूं,
मैं ही गीता का सार हूं,
मैं काल हूं, मैं काल हूं,
मैं काल हूं, में कल हूं!

मैं ही हूं प्यास, मैं तृप्ति हूं,
मैं ही विलास, मैं भक्ति हूं,
मैं क्रोध हूं, मैं पाप हूं,
मैं पुण्य भी, मैं काम हूं,
मैं काल हूं, मैं काल हूं,
मैं काल हूं, मैं काल हूं!

मैं जन्म हूं, मैं मृत्यु हूं,
मैं अंत हूं, आदि भी मैं,
मैं ही हूं शिव, ब्रम्हा भी मैं,
मैं भस्म हूं, मैं प्राण हूं,
मैं काल हूं, मैं काल हूं,
मैं काल हूं, मैं काल हूं!

मैं सौम्य हूं, मैं रौद्र हूं,
मैं सुक्ष्म भी, मैं विशाल हूं
मैं जीत हूं, मैं हार हूं,
मैं ही रावण का अभिमान हूं
मैं काल हूं, मैं काल हूं,
मैं काल हूं, मैं काल हूं!

मैं नींद हूं, आलस हूं मैं,
उत्साह हूं, आनंद हूं मैं,
मैं हर्ष हूं, उल्लास हूं,
मैं दुःख भी हूं, उन्माद हूं,
मैं काल हूं, मैं काल हूं,
मैं काल हूं, मैं काल हूं!

मैं तुम में हूं , मैं मय में हूं,
मैं लोभ में, मैं मोह में,
बंधन हूं मैं, मैं मोक्ष हूं,
मैं माया हूं, मैं काया हूं,
मैं ही मन का सकल विचार हूं,
मैं काल हूं, मैं काल हूं,
मैं काल हूं, मैं काल हूं!

मैं रोम–रोम, कण–कण में हूं,
मैं जीवन के क्षण–क्षण में हूं,
मैं गुप्त हूं, संसार हूं,
मैं शून्य हूं, निराकार हूं,
हां काल हूं, मैं काल हूं,
मैं काल हूं, मैं काल हूं...!!
☘️🙏🙏✍️☘️

–कमलकांत घिरी, मनकी, मुंगेली, छत्तीसगढ़।..✍️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

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रीना कुमारी प्रजापत said

Bahut badhiya prastuti

कमलकांत घिरी replied

Thank u didi🙏

स्नेह धारा said

उम्दा 👏

कमलकांत घिरी replied

शुक्रिया मैम 🙏🙏

Lekhram Yadav said

अच्छी कविता है परन्तु पढ़ कर डर रहा हूं कहीं मेरा ही नम्बर न आ जाए। प्रणाम स्वीकार कीजिए घिरी भाई।

कमलकांत घिरी replied

धन्यवाद सर जी🙏 मगर आप ये कैसी बातें करते हैं अभी आपकी उम्र ही क्या हुई है महज़ 67 साल, 8 माह और यहीं कुछ 22 दिन ही तो हुए हैं, अभी तो आपको सेंचुरी लगानी है फिर डर काहे का(दिल तो बच्चा है न जी)।।प्रणाम।।🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

Bilkul sahi kaha kamal bhai apne yadav ji ke liye😊😊

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