New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मेरे सवालों का जवाब दो

भगवान,
अगर आप सच में हैं तो मेरी बात सुनो।

जिंदगी दी आपने, माया रची आपने,
और फिर उसी माया के चक्र में हमें फँसाया आपने।
अब कहते हो—माया से दूर रहो।
पर यह कैसी बात हुई, जो माया की ही इस जाल में उलझाए रखो?

भक्ति करो, निश्चल मन से।
पर उसी मन के साथ दे दिया एक ऐसा दिमाग,
जो हर कदम पर सवाल करता है, उलझाता है, समझाता है, फिर गुमराह भी करता है।
और ऊपर से दे दिया ये पहाड़ सा शरीर—
जिसके अपने नियम, अपने कर्मकांड।
कभी थकता है, कभी टूटता है, कभी खुद से ही लड़ता है।

बताओ, भगवान, आप हमसे क्या चाहते हो?
क्या चाहते हो उस मन से जो हर पल द्वंद्व में है?
क्या चाहते हो उस शरीर से जो बोझ बन गया है?
क्या चाहते हो उस आत्मा से जो भटकती है इस भ्रमित संसार में?

क्यों इस उलझन को रचा आपने?
क्यों दिया है हमे भक्ति का रास्ता
जब खुद उसी रास्ते पर कांटे और खतरनाक मोड़ रखे हो?

क्या यह माया ही आपका संदेश है?
या फिर उस माया के पार कुछ और भी है, जिसे देखना हमसे छिपाते हो?

अगर आप हो, तो बताओ—
हम क्यों जकड़े हैं इस संघर्ष में?
हमारा अंत क्या है? हमारा उद्देश्य क्या है?
क्या बस भक्ति में लीन होना ही अंतिम सच्चाई है?
या फिर उस भक्ति के आगे भी कुछ और है, जो हमारी समझ से परे है?

भगवान, मेरी इन सवालों का जवाब दो,
न कि कोई कहानियाँ और उपदेश।
सीधी बात करो—
क्या है वह रास्ता, जो हमें इस माया से बाहर निकाल सके?
क्या है वह सत्य, जो हमारे दिल के भीतर छिपा है?

मैं नहीं चाहता झूठी उम्मीदें,
न किसी नेम की रोशनी जो क्षणिक हो।
मैं चाहता हूँ सच्चा सुकून—
जो इस शरीर, इस मन, इस माया की सीमा से परे हो।

अगर आप हो, तो दिखाओ हमें,
वरना हम खुद ही अपनी राह बनायेंगे—
जिसमें सवालों के जवाब भी होंगे,
और उन सवालों की गहराई भी।

आपका इंतजार रहेगा।
कहीं उस सच्चाई के द्वार पर,
जहाँ सवाल भी खुद उत्तर बन जाएं।

— एक उलझता इंसान




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

Shiv Charan Dass said

बेहतरीन बेमिसाल ......मानवता का यह इंतजार अनंत है

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह... दिल और आत्मा की पुकार को शब्दों में ढाल देना कोई साधारण बात नहीं। ये रचना एक प्रार्थना नहीं, एक संवाद है—ईश्वर से, खुद से, और इस रहस्यमयी अस्तित्व से। हर पंक्ति जैसे भीतर के भूचाल को भाषा देती है। 🌌🙏 "कहीं उस सच्चाई के द्वार पर, जहाँ सवाल भी खुद उत्तर बन जाएं।" — इस एक पंक्ति में पूरी जिजीविषा समा गई है। बेहद गहन, ईमानदार और प्रश्नों से लबालब रचना। शब्द नहीं, बस मौन श्रद्धा है इसके लिए।

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन