साधु संत का भोग यही है.
कभी वदन में रोग नहीं है..
सात्विकता का यह लक्षण है.
सुन्दर भावों का शिक्षण है..
पावन हृदय यही करता है.
मन को निर्मल नित करता है..
यह पवित्र अति उत्तम भोज़न.
करता है मानस को सज्जन..
सदा प्राकृतिक भोजन हितकर.
स्वच्छ स्वस्थ पाक अति रुचिकर..
मानवीय मूल्यों का वाहक.
शाकाहार दिव्य शिवकारक..
अतुलित मोहक दीप जलाता.
काम भावना दूर भगाता..
शुद्ध आचरण सदा सिखाता.
सुखमयता की राह दिखाता.
----डॉ0 रामबली मिश्र