बहती धारों मे मिल गया है वो
चांद -तारों में मिल गया है वोI
भीनी खुशबू से फिजा महकी है
अब गुलाबों में खिल गया है वोI
मैं उसे पहचानता नहीं फिर भी
बनके आहों में दिल गया है वोI
दास कैसे किसी की बात करेंगें
सबकी बातों में सिल गया है वो।
कोई और नहीं सिर्फ रूह है मेरी
जिस्म और जां में मिल गया है वो I