सारा जहान है मेरे लिए ज़िंदगी का पल भर भरोसा नहीं
ज़िंदा हैं आज़ कल रहने का दावा मेरे अख्तियार में नहीं
बहरामंद कुछ लोग समझते हैं खुद को लेकिन हम नहीं
बहदाना कौन हम हैं या है एक मारूफ कई अनेक नाम
उसे समझना हर एक लिए मुम्किन नहीं वह सदा पोशीदा है
जब हम पोशीदा हो गए वह ज़ाहिर हो गया मेरे कारनामें से
वसी अहमद क़ादरी
वसी अहमद अंसारी