चालीस साल जीवन गुजरने के बाद अहसास हुआ मुझको_वसी
किसी काम में न कामयाबी न मेहनताना मिलना वजह हमने समझा है
वजह क्या समझे कोई किसी का जो ख़ुद को समझने की कोशिश नहीं करता
हमने समझा उसने हमें दरवेश बनाया ये मेरी चाहत नहीं था फिर हुआ कैसे
शायद बादशाह कायनात ने हमें समझा होगा कि दूसरा आजमाने के काबिल नहीं है
हम भी जिद्दी हैं खुद को " दरवेश" लिखना आगाज़ किया देखिए आगे है क्या !
(वसी अहमद क़ादरी)
वसी अहमद अंसारी