तुम अपना ईमान सम्हालना,
खामोश निगाह में बवंडर था।
ख़ामोशी खोद के देखना,
तूफ़ान सा क़हर अंदर था।।
सींचते रहे उम्र भर,
जिस ज़मीं को मोहब्बत से।
मुद्दतों बाद इल्म हुआ,
उसका ज़र्रा-ज़र्रा बंजर था।।
वो मरुस्थल था सोख गया,
हर नमी को छूते ही।
वरना दिल तो एक वक्त पर,
मेरा भी समन्दर था ।।
धुन्ध छट न पाई आँखों की,
आईना सामने आ गया।
अपनों के हाथों में 'उपदेश',
कत्ल का खंजर था।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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