मेरी ज़िंदगी में चाहिए —
एक चुप… जो बोलती हो मुझसे हर रात,
एक तन्हाई… जो मुझे भीड़ से बचा ले हर बात।
मुझे चाहिए —
कोई ऐसा अपना,
जो मुझे पढ़े… बिना पन्ने पलटे,
जो मेरी ख़ामोशियों में भी
मेरे टूटे हुए शब्दों को चुन ले।
मुझे चाहिए —
एक रिश्ता —
जिसमें समझ के लिए
तर्क ना हो,
और मोहब्बत के लिए
सबूत ना।
मुझे चाहिए —
वो घर —
जिसकी दीवारें मेरी कहानियाँ जानती हों,
जहाँ रोने पर कोई ये ना पूछे —
“अब क्या हुआ?”
बल्कि धीरे से बस —
हाथ थाम ले।
मेरी ज़िंदगी में चाहिए —
वो रातें — जो मुझे
नींद नहीं,
सुकून दें।
मुझे चाहिए —
कोई वो नहीं —
जो मेरे लिए दुनिया से लड़े,
बल्कि वो —
जो मेरे भीतर के युद्धों में
मेरी ढाल बन जाए।
मुझे चाहिए —
एक माँ की गोद-सी सच्चाई,
एक पिता की आंखों-सी मौन सहमति,
एक बहन-सा अपनापन,
और
एक सखी-सी निडरता।
मुझे चाहिए —
कोई ख़ुशी ऐसी —
जो दिखे नहीं,
पर मेरी सांसों में घुली हो…
क्योंकि मेरी ज़िंदगी में सब है —
पर वो नहीं…
जो मेरे होने को
पूरी तरह
देख सके।