आने वाली सदी की
आंसुओं को, अपने आपमें
समेटकर रखी हुई है
पेड़ की निस्तब्ध आंखें
अपनी अदृश्य पलकों से
विवश हो,थकी सी, मुरझाई
आने वाली बर्बादी का
इंतजार कर रही है
पेड़ की सूखी आंखें
अपनी धड़ से, गर्दन के
अलग होने का
सामने अंधकार में
सदा के लिए सोने का
सहमें,डरे, किंकर्तव्यविमूढ़
उल्टी गिनती गिन रही है
पेड़ की शान्त, ढंकी आंखें।
(कविता का मूल भाव पेड़ों की रक्षा करें)
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




