शब्दों की भेंट – मेरे प्यारे भईया के नाम
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आप मेरे जीवन की वो दुआ हो
जिसे मैंने माँगा नहीं,
फिर भी पाया है सबसे सच्चे
रिश्ते की तरह।
आपका होना
जैसे छांव हो तेज धूप में,
जैसे उम्मीद हो निराशा में,
जैसे मुस्कान हो मेरी उदासी में।
आप जब पास होते हो,
तो लगता है कोई डर नहीं,
और जब दूर हो…
तो भी हर दुआ में बस आप ही होते हो।
मैंने कभी खुलकर नहीं कहा,
पर हर बार मन ने माना है –
कि इस रिश्ते में
कोई तौल नहीं, कोई शर्त नहीं,
सिर्फ़ निस्वार्थ स्नेह और अटूट विश्वास है।
इस राखी पर,
मैं कोई उपहार नहीं भेज रही,
बस ये शब्द –
जो सीधे दिल से निकले हैं।
मेरी दुआओं की डोरी
हर वक़्त बंधी रहे आपके हाथ पर,
और मेरी राखी आपके स्नेह की मन में
– डॉ. फ़ौज़िया नसीम शाद