जीवन को मिली नई दिशा
ज़िन्दगी बहुत कुछ सिखाती है
हर राह हर पड़ाव से कुछ नया सीखने को मिलता है
जिसे अपने जीवन में उतारने का मन करता है
मुझे हमेशा से ऐसा लगता है कि
बुढ़ापा स्वयम् से ज़्यादा दूसरों को सीख देने की उम्र है
अपने घर के,आस पास के बुजर्गों को देख कर मन में एक सोच आई
कि हम अपने जीवन का सही मूल्य नहीं समझते
कितनी आदतें हमारी हमें और हमारी वजह से दूसरों को परेशान कर सकती हैं।
उन्हें देखकर मेरे जीवन को भी नई दिशा मिली
मनमौजी जीवन में यदि हम भी उस पड़ाव तक पहुँच गए
तो अधेड़ उम्र आते ही अपनी तीन आदतें हमें अपने में ज़रूर बदलनी चाहिए ..
पहली हमारे कर्मों का और हमारे तन का वजन हल्के से हल्का रखने की कोशिश करना
कि आख़िरी समय में न किसी को हमारी सेवा करने में कोई कष्ट हो और न ही हमें कंधे पर उठाने में
दूसरी अपने अन्न,धन और मन के हर प्रकार के लालच को ,इच्छा को खत्म करते जाना
ताकि कोई भावनाएँ दिल को ठेस न पहुँचा सकें और जो मिले उसे प्रसाद समझकर ग्रहण करते रहें
तीसरी पर सबसे खास अपने आप को खुश रखने की कला सीखना,एकांत को अपना साथी बनाना
ताकि न किसी से समय की उम्मीद करें और न ही अकेलेपन से दुखी होना पड़े
सेवा पाना हमारा अधिकार हो सकता है
किसी का कर्तव्य व फर्ज हो सकता है
पर जीवन अप्रत्याशित है
क्या पाना है क्या खोना है यह तो नहीं जान सकते
पर अपनी सोच से अपने आख़िरी पड़ाव की जीत निश्चित ज़रूर कर सकते हैं ..
वन्दना सूद