तुमसे पहले इतनी नजदीकियाँ नही रही।
मोहब्बत बढ़ जाने से विसंगतियाँ नही रही।।
कल का किसी को भी नही पता क्या होगा।
चढ़ती उम्र में पहले जैसी रंगरेलियाँ नही रही।।
जब तक है जिन्दगी तूँ जिन्दगी का तजुर्बा ले।
बिगड़ेगा कुछ भी नही अठखेलियाँ नही रही।।
हर कोई खानाबदोश नही होता इस ज़माने में।
पुराने ठिकाने पर 'उपदेश' तितलियाँ नही रही।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद