वर्षा के मौसम में , वर्षण को तैयार बदलियां
सूरज तीखी धूप लिए हे, फूलों से सज रही हैं गलियां
मानो धरती पहन सुनहरे , जेवर यू इठलाती हो
मंद हवा के साथ मटकतीं , कलियां भी मुस्काती हों
प्यासी धरती मानो यू , वर्षण की राहें तकती हे
धीमे धीमे वर्षा में, मिट्टी की भीनी खुशबू हे
मधुर ध्वनि में कोयल और पपिहा गीत सुनाते हैं
रंग बिरंगे फूलों पर , यू आ भंवरे मंडराते हैं
टहनी पर बांध के झूले, बच्चे झूले जाते हें
पंख फैलाकर मोर मोरनी नाच रहे हैं झूम झूम कर
वर्षण को तैयार बदलियां वर्षा करतीं घूम घूम कर
साक्षी लोधी