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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

वर्षा के मौसम में वर्षण

वर्षा के मौसम में , वर्षण को तैयार बदलियां
सूरज तीखी धूप लिए हे, फूलों से सज रही हैं गलियां

मानो धरती पहन सुनहरे , जेवर यू इठलाती हो
मंद हवा के साथ मटकतीं , कलियां भी मुस्काती हों

प्यासी धरती मानो यू , वर्षण की राहें तकती हे
धीमे धीमे वर्षा में, मिट्टी की भीनी खुशबू हे

मधुर ध्वनि में कोयल और पपिहा गीत सुनाते हैं
रंग बिरंगे फूलों पर , यू आ भंवरे मंडराते हैं
टहनी पर बांध के झूले, बच्चे झूले जाते हें

पंख फैलाकर मोर मोरनी नाच रहे हैं झूम झूम कर
वर्षण को तैयार बदलियां वर्षा करतीं घूम घूम कर

साक्षी लोधी




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

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मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

अति सुन्दर, प्रकृति सौंदर्य की मनमोहक झांकियां। धरती, कलियां, बदलियां,इनका सुंदर मानवीकरण करके कविता के कला पक्ष को और खूबसूरत बनाया गया है। वंदन अभिनंदन!!

साक्षी लोधी replied

जी धन्यवाद

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह, कितना सुंदर और मनमोहक वर्णन किया है आपने! ऐसा लगता है जैसे मानसून की हर एक बूंद, हर एक रंगीन फूल, हर एक गीत अपने आप में एक कविता बन गया हो। बदलियों की नाचती हुई छवि और धरती की भीनी खुशबू दिल को तरोताजा कर देती है। आपकी ये पंक्तियाँ सच में मानसून के जादू को बखूबी बयां करती हैं। बहुत खूब! 🌧️🌸🦚

साक्षी लोधी replied

बहुत बहुत शुक्रिया

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