महान प्रेमी पैदा नहीं होते, उन्हें गढ़ा जाता है।
प्रेम एक कला है, और जब कोई पुरुष इस कला को समझता है,
तो वह एक स्त्री के जीवन में जादू भर सकता है।
एक स्त्री के लिए, प्रेम सिर्फ़ एक अनुभव नहीं होता—
यह एक परिवर्तन होता है।
जब वह प्रेम के सागर में गहराई से उतरती है,
तो वह वैसी नहीं रहती जैसी पहले थी।
वह खिल उठती है, उसकी आभा निखर जाती है,
वह खुद का सबसे खूबसूरत रूप बन जाती है।
प्रेम की यह कला उसके लिए एक आशीर्वाद है।
यह उसकी आत्मा को जीवित रखने वाली प्राणवायु है,
वह गर्माहट है जो उसे सुरक्षित महसूस कराती है,
वह रोशनी है जो उसे दुनिया को और भी रंगीन बना कर दिखाती है।
वह इस तरह के प्रेम को इसलिए नहीं चाहती क्योंकि वह कमज़ोर है,
बल्कि इसलिए क्योंकि उसे यह प्रेम जीने के लिए बनाया गया है।
यह उसका जन्मसिद्ध अधिकार है—
ऐसा प्रेम पाना जो उसके दिल को नाचने पर मजबूर कर दे।
हर स्त्री के जीवन में कम से कम एक बार,
उसे यह जादू महसूस करने का हक़ होना चाहिए—
ये जानने का कि वायलिन की धुनें कैसे प्रेम की फुसफुसाहट जैसी होती हैं,
कैसे रंग आपस में भावनाओं की तरह घुलते हैं,
कैसे चॉकलेट जुनून की तरह पिघलती है,
और कैसे बीज मिट्टी को जीवन के वादे के साथ छूते हैं।
जब प्रेम गहराई और समर्पण के साथ दिया जाता है,
तो वह एक लग्ज़री बन जाता है।
यह कोई आम चीज़ नहीं होती—यह असाधारण होता है।
जब एक स्त्री को इस तरह का प्रेम मिलता है,
तो वह एक नई स्त्री बन जाती है।
उसकी चाल में शालीनता होती है,
उसकी आवाज़ में ममता होती है,
और उसकी आँखों में ऐसा نور होता है जिसे दुनिया अनदेखा नहीं कर सकती।
वह अब अपने मूल्य पर कभी संदेह नहीं करती,
क्योंकि प्रेम ने उसे दिखा दिया है कि वह कितनी कीमती है।
और प्यारे पुरुषों,
अगर आप चाहते हैं कि कोई स्त्री आपको हमेशा याद रखे,
अगर आप उसके दिल पर अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं,
तो प्रेम की इस कला को सीखिए।
वो पुरुष बनिए जो उसकी दुनिया को कविता बना दे,
जो उसे जादू पर यकीन दिला दे,
जो उसे यह सिखा दे कि जब प्रेम सही ढंग से किया जाए,
तो वह दुनिया की सबसे खूबसूरत कृति बन जाता है।
'उपदेश' पढ़ना छोड़ो और महसूस करो।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद