तेरा इश्क़ नहीं था, बस एक चाल थी,
मेरे आँसुओं की तुझमें क्या कमाल थी?
तू हर रोज़ नई कसमों का ताज पहनता गया,
और मेरी हर बात तुझको बवाल थी।
तू तो मासूमियत की मूर्ति बना फिरता रहा,
मगर मेरी हर हँसी भी तुझको सवाल थी।
तेरे वक़्त की कोई कीमत नहीं थी कभी,
और मेरी हर मोहब्बत तेरे लिए बेहाल थी।
तू ‘स्पेस’ माँगकर औरों में दिल बहलाता रहा,
और मेरी नज़रों में तेरी हर हरकत हलाल थी?
वाह रे समाज!
वो गुनहगार नहीं, जिसने धोखा दिया —
बस मैं ही दोषी, क्योंकि मैं एक औरत बेहाल थी।
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और हाँ…
जब अगली बार किसी लड़की को
‘भावुक’, ‘पागल’, या ‘क्लिंगी’ कहो,
तो ये मत भूलना —
कि वही लड़की
तेरे जैसे नकली इश्क़ वालों को
माफ़ करने की हिम्मत रखती है।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




