बसन्त बहार
थोड़ा ही सही जीविका को अपनी संवार लेना ।
बसन्त की सुहावनी मनभावनी ऋतु तुमसे मिलने आई है॥
सुबह सवेरे की नींद को कुछ दिनों के लिए अलविदा कह देना।
गुलाबी ठण्डी पवन अपने स्पर्श से तुम्हें मनमोहक करने आई है॥
अपनी आँखों को भी थोड़ा सहला लेना ।
हरियाली बिखेरते खेत व रंग बिरंगे फूलों से सजी प्रकृति तुम्हें अपनी सुन्दरता का रस पान कराने आई है॥
श्रवण को अपने सचेत रखना ।
चह चहाते पक्षी , गुंजन करते भँवरे ,सर सराहट करते पेड़ तुम्हें संगीतमय कर सुख देने आए हैं ॥
थोड़ा ही सही वाणी को अपनी मधुर व पवित्र कर लेना
बसन्त ऋतु तुम्हारे जीवन को नई ऊर्जा से भरकर,तुमसे राग बसंती सुनने आई है॥
थोड़ा ही सही जीविका को अपनी सुधार लेना।
प्रकृति तुमसे मुलाकात करने आई है ..
वन्दना सूद