खुद से खुद की हो शिकायत कभी कभी
खुद पर भी हो इतनी इनायत कभी कभी I
ख्वाहिशें हैं सबकी बस खुशी हमको मिले
अब गमों भी कुछ तो हो चाहत कभी कभी I
तोड़ लेते फूल खिलते शाख से हरदम मगर
कांटो की भी हो अब हिमायत कभी कभी I
दास पढते लफ्जों की ही किताबें सारे लोग
लहजे की है पढ़ लेना ये इबारत कभी कभी I
खंडहर वीरान हैं सन्नाटे भरे सब शीश महल
प्यार के आदाब से सजती इमारत कभी कभी II

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




