मौसम - ए - इश्क़
इतरा रहे हैं गुलाब अपना खास दिन
मनाने के लिए
इन्हें क्या पता
कितनों पैर के नीचे कुचले जाएंगे
खुश हैं जो आशिक माशूका के इंतेज़ार में
वो रात को तकिए के साथ अपना शोक मनाएंगे
बेचैन हैं जो दिल
इजहार के लिए
उनसे पूछो कि...
दिल -ए -जख्म कैसे छुपाएंगे ?
चाहत जो दिल में छिपाई रखी है
इजहार ए इश्क की अगुवाई में
इनकार का सबब कैसे समझ पाएंगे।।
गलती ना सही पर फिर भी
बदनाम है फरवरी
कितनों को आईना दिखा कर भी
बेईमान है फरवरी ।।
- तुलसी पटेल