अंकी, इंकी ,डंकी लाल, बेईमान ,धूर्त और हैं मक्कार।
एक टांग का बंदर,इन सभी का है रांजदार।
जहां देखे उसने भुने चने, कूद गया उसके अंदर।
हाथ फंसा घड़े में, भागा फिर रहा यह कल्लू कबाड़िया बंदर।
षड्यंत्र रचते हैं, महल बनाएं, एक लग्जरी कार भी लायें।
सरकारी सुविधा के साथ-साथ, प्राइवेट में भी हाथ आजमायें।
निरमा वाशिंग पाउडर की,धुलाई है शानदार।
गायब किये पत्रजातों को मंगा रहा, अफसर है ईमानदार।
घपले बाजी देखकर, विधिक कार्यवाही हो रही तैयार।
पैसे के पीछे भागते रहे, अब पाई पाई है बेकार।
अब ये षड्यंत्रकारी, ना जी सकेंगे न मर पाएंगे।
घसीटाराम घसीटा की जेल में, पत्थर तोड़ते नजर आएंगे।