आज फिर कुछ घर गिरने लगे
पेड़ों से ढके आँगन छूटने लगे
ज़मीं पर लगे पेड़ कटने लगे
आधुनिकता से लोग पिघलने लगे
आँगन की तुलसी को भूलने लगे
अपने संस्कारों की जड़े छोड़
नाजाने?कौनसे मकानों के शौक़ में पड़े
जिसकी कहने को न ज़मीन अपनी
और न ही सिर के ऊपर की छत अपनी
अन्धकार को अपनाकर
अपनी भावनाओं से बने घर को बेच कर
जिसकी नींव अपने हाथों से रखी थी
पैसों(अहम्) की चकाचौंद के मकान को ख़रीद कर
नाजाने?कौनसी रोशनी देखने चले ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




