कापीराइट गजल
मत काटो ये पेड़ मेरा, इसकी अजब कहानी है
इसकी शाखाओं और पत्तों में, मेरी याद पुरानी है
क्या-क्या हाल सुनाऊं मै, इसकी अजब कहानी के
संग-संग इसके जवां हुई, ये मेरी नादान जवानी है
हर गरमी सर्दी गुजरी हैं, इसके नीचे दोपहरी में
इसकी ये शीतल छाया, मेरे जीवन की रवानी है
छाया में इसकी सुकूं बहुत हर मानस और पंछी को
बस्ती है एक दुनियां इसमें, इसकी गजब कहानी है
मेरी खुशियों मेरे गम में, ये हरदम मेरे साथ रहा
गुजरे मेघ यहां से जब, इसने बरसाया पानी है
वृक्ष नहीं साथी है मेरा, यह मेरे सुख और दुख का
इसके प्यार के रंगों में, बनती हर रोज कहानी है
धरती मां का प्यार बसा है, इसके पत्तों और फूलों में
मत काटो तुम पेड़ मेरा, ये धरती मां की निशानी है
इसकी गोद में बीता है, ये बचपन अपना अलबेला
इसकी बाहों में झूले हैं हम, इसकी अमर कहानी है
आज अगर इसको काटोगे, कल तुम भी पछताओगे
यादव इसकी सांसों में, तेरे जीवन की कहानी है
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
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