काश………!
अकसर सोंचता हूँ,
इस एक शब्द ने,
कितना कुछ समेटा है।
असहनीय वेदना का मौन,
चिल्लाहट की गहरी खामोशी,
मुस्कुराहट के तप्त अश्रु,
अकथनीय का कथन,
आशा की उम्मीद,
अन्यान्य भाव,
हर दौर में यह भिन्नार्थ,
एक गहरी श्वास, आह! के साथ,
काश………..!
🖊️सुभाष कुमार यादव