लो रक्षाबंधन आ गया, लो रक्षाबंधन आ गया,
प्यार का, विश्वास का, मान का, सम्मान का, ये अटूट बंधन आ गया,
लो रक्षाबंधन आ गया...
रंग–बिरंगे धागों का, मीठी–मीठी सी बातों का, बहना से भाई के पक्के वादों का, ये अनूठा अनुबंधन आ गया,
लो रक्षाबंधन आ गया...
मस्त बलखाती चाल में, चंदन दीपक की थाल में, सजी चमकीली सुनहरी भाई के हाथों का ये कंगन आ गया,
लो रक्षाबंधन आ गया...
स्नेह का, निस्वार्थ का, बहना की अपने अधिकार का, भाई से करती ये वंदन गया
लो रक्षाबंधन आ गया...
दूरियां समेटती किनारों का, खुशियों से भरी नजारों का, कुछ खट्टी–मीठी यादों का,ये मुस्कुराता आलम आ गया,
लो रक्षाबंधन आ गया, लो रक्षाबंधन आ गया..!
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🪔आप सभी को इस रक्षाबंधन के पावन पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं 💐🙏🙏
---कमलकांत घिरी.✍️