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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

लो रक्षाबंधन आ गया – कमलकांत घिरी

लो रक्षाबंधन आ गया, लो रक्षाबंधन आ गया,
प्यार का, विश्वास का, मान का, सम्मान का, ये अटूट बंधन आ गया,
लो रक्षाबंधन आ गया...

रंग–बिरंगे धागों का, मीठी–मीठी सी बातों का, बहना से भाई के पक्के वादों का, ये अनूठा अनुबंधन आ गया,
लो रक्षाबंधन आ गया...

मस्त बलखाती चाल में, चंदन दीपक की थाल में, सजी चमकीली सुनहरी भाई के हाथों का ये कंगन आ गया,
लो रक्षाबंधन आ गया...

स्नेह का, निस्वार्थ का, बहना की अपने अधिकार का, भाई से करती ये वंदन गया
लो रक्षाबंधन आ गया...

दूरियां समेटती किनारों का, खुशियों से भरी नजारों का, कुछ खट्टी–मीठी यादों का,ये मुस्कुराता आलम आ गया,
लो रक्षाबंधन आ गया, लो रक्षाबंधन आ गया..!
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
🪔आप सभी को इस रक्षाबंधन के पावन पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं 💐🙏🙏


---कमलकांत घिरी.✍️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

Lekhram Yadav said

वाकई आज रक्षाबंधन आ गया कमलकांत भाई, आपको शुभ कामनाओं सहित नमस्कार।

कमलकांत घिरी replied

धन्यवाद सहित आपको भी नमस्कार सर जी🙏🙏

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