जिस परिवेश में जीना था अमल करना छोड़ दिया।
जिन संस्कारों में पले बड़े उन्हें सिखाना छोड़ दिया।
ईश्वर के वरदान को बेकार समझ कर छोड़ दिया।
जिन्हे करना था पशुपालन हल चलाना छोड़ दिया।
मिट्टी के बर्तन में खाना पीना अब सबने छोड़। दिया बदलता परिवेश हमारा क्यू संस्कृति को छोड़ दिया।
पिताजी के ऋण को ओलाद ने चुकाना छोड़ दिया।
माता पिता की सेवाभाव क्यू बहु बेटों ने छोड़ दिया।
चोरी करना शुरू किया ईमानदारी को त्याग दिया
शौहरत दौलत के चक्कर में सच्चाई को त्याग दिया।
धर्म परिर्वतन करके अब कुलदेवी को त्याग दिया
अपने मकसद के लिए माता पिता को कत्ल किया।
पढ़े लिखे लोगो ने भी अब शिक्षा का व्यापार किया।
मजबूर दुखी लोगों को अधिक सताना शुरू किया।
अपने स्वार्थ के खातिर सैनिक बनना छोड़ दिया।
जिन भावो से पले बड़े उन कसमों को तोड़ दिया।
सत्यवीर वैष्णव राजस्थान
बारां

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




