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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

भूल भुलैया - Breathless Way - अशोक कुमार पचौरी

निकला अकेला था

प्यार की राहों में

राहें थी गुमसुम

भटका अकेला था

गुमसुम राहों में

राह में काँटा था

मन में यह ठाना था

रुकना नहीं था

चलते ही जाना था

रुकने से पहले मुझे

मंजिल को पाना था

दूर थी पास थी

किसकी तलाश थी

कुछ भी पता ना था

पाने की आस थी

तब भी न रुकता था

तब भी न थकता था

गर्मी की धूप में

लगती जो प्यास थी

नजरें मिलाने को

दिल यह बेताब था

दिल में था अरमाँ

उसको पाने का

मन में जुनून था

चलते ही जाने का

भूल भुलैया सी इन राहों में

डर था तो बस कहीं खो जाने का

जाना तो दूर था

रब की तलाश में

ढूंढा मेने कहाँ कहाँ

और रब तेरे पास में

अब तू ही इबादत

तू ही मेरा रब है

रहना है तुझमें

तू ही मेरा सब है

तुझसे है दुनिया

तुझसे ही प्यार है

तेरे बिना मेरा जीना बेकार है

जीना है मुझको

पहलू में तेरे

तुम भी तो रहते हो

दिल में हमारे

जाऊँ कहा अब

मुझे कहीं जाना नहीं

तेरे सिवा मुझे

कुछ भी तो पाना नहीं

माँगा था तुझको

रब से दुआओं में

बसती हो तुम मेरे

दिल की सदाओं में

किस्मत की लकीरो से

तुमको चुराया है

पता नहीं कैसे कैसे

तुमको पाया है

पता नहीं कैसे कैसे

तुमको पाया है

पाया है तुमको

चैन मेरा खोकर

यादों में तेरी

रातों को रोकर

रातों में रोया था

यादों में खोया था

खोया था कितना

फिर भी था होश में

रोया था कितना

फिर भी था जोश में

रोया था खोया था

खोया था रोया था

रोने के बाद में

खोने के बाद में

रब की दुआ से

तू है मेरे साथ में

मेरा खुदा है तू

जग से जुदा है तू

दिल से तो पूछो

तुझपे फ़िदा है क्यों?

यही तमन्ना है

यही है चाहत

पहचानू तुझको

मैं सुनकर आहट

तेरा साथ है

हाथो मै हाथ है

सच मैं सौगात है

या कुछ और बात है

सुबह हुई तो

मैंने पाया

एक सवाल

मेरे मन में आया

क्या था वो सच?

या फिर कोई सपना था?

जो भी था जाने दो

पर कोई अपना था

जो भी था जाने दो

पर कोई अपना था

Originally Published at : https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/ashok-pachaury-bhulbhulaiyan?page=8




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