हूं नदी नहीं "कैनो क्रिस्टल्स", जो रंग बदल दूं हर मौसम में,
ये चाहत है मेरे कलमों की, तुझे पाना है अपनी मेहनत से।
हूं नदी नहीं "कैनो क्रिस्टल्स", जो रंग बदल दूं हर मौसम में।
एक उम है हमने खर्च किया, क्योंकि तुमसे अलग ही नाता है,
उस उम्र में था कलम पकड़ लिया, जिस उम्र में घूमते फिरते थे,
उस उम्र में था घर को छोड़ दिया, जिस उम्र में घर पर खेलते थे,
ऐ मंजिल तुझे पाने की चाहत में, घर से हमने है रुख मोड़ लिया।
हूं नदी नहीं "कैनो क्रिस्टल्स", जो रंग बदल दूं हर मौसम में।
जिस हाथों में था बल्ला पकड़ना, उस हाथों में हैं बेलन,
चूल्हा - चौंकी कर के पढ़ना, होता है इतना आसान कहां,
पर ऐ मंजिल तेरी चाहत में, लगता ये सब आसान मुझे,
भरना हैं ऊंची उड़ान मुझे, क्योंकि जिद्द है तुझको पाने की।
हूं नदी नहीं "कैनो क्रिस्टल्स", जो रंग बदल दूं हर मौसम में।
होता इतना पाना सरल तुझे तो, पा लेता हर कोई तुझे,
लेकिन हैं इतना सरल कहां, जो पा ले तुझको चिंतन से,
तू मिलती उसको है आसानी से, जो चाहें तुझको शिद्दत से,
जो कठिन परिश्रम करे मन से, मिलती उसको आसानी से।
हूं नदी नहीं "कैनो क्रिस्टल्स", जो रंग बदल दूं हर मौसम में।
घर छूटा, गांव छूटा, रिश्ते टूट गए, अब तो तू ही एकमात्र सहारा है,
ऐ मंजिल तुझे पाने की चाहत में, जाने कितने हैं हमसे रूठ गए,
अब फिक्र नहीं हैं जमाने की हमको, कि कौन हमसे है रूठ गया,
हो जाएंगे अपने सब, जिस दिन तुमने हमको अपना मान लिया।
हूं नदी नहीं "कैनो क्रिस्टल्स", जो रंग बदल दूं हर मौसम में।
हो जाएंगी सफल ये सारी मेहनत, जिस दिन मिलोगी हमको,
मां-बापू के भेजे सारे खर्चे हमको, सफल हो जाएंगे उस दिन,
लोगों के ताने तब सुनने को, नहीं मिलेंगे हमारे मां-बापू को,
उम बढ़ जाएगी उनके जीवन की, जो घटती है उनकी जा रही,
जो त्याग किया हमे पढ़ाने में, वो फिर से उनको मिल जाएगा,
न जाने कितने कष्ट उठाकर, हमको पढ़ने का खर्चा भिजवाया।
हूं नदी नहीं "कैनो क्रिस्टल्स", जो रंग बदल दूं हर मौसम में।
हम उसी उम्मीद में लगे हुए हैं, मेहनत मेरा हथियार है,
रोज उसमें हैं धार लगाते, जिसे हमे लेकर रण में जाना है,
हैं इस कर्म भूमि पे जन्म लिया, तो कर्म करना है धर्म मेरा,
फल की चिंता क्या करना है, जो है ही नहीं अपने हाथों में,
कर्म से पीछे क्यों हटना, जब केवल कर्म ही है अपने हाथों में,
फल तो हमको मिल ही जाएगा, जब कर्म किया हो शिद्दत से।
हूं नदी नहीं "कैनो क्रिस्टल्स", जो रंग बदलू हर मौसम में।
- अभिषेक मिश्रा (बलिया)