भ्रष्टाचार की डाली हास्य व्यंग
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन विख्यात
आज भ्रष्टाचार का बक्सा खुला है,
काले धन का बंटवारा हो रहा है ।
कुर्सी के ऊपर वाला भी,
और दफ्तर के बाहर खड़े होने वाला भी,
सभी भ्रष्टाचारी साथ-साथ बैठे हैं।
सबको उनका आज हिस्सा मिलने वाला है।
अपने-अपने हिस्से के हिसाब से,
अपनी अपनी लाइन में बैठे हैं।
जांच भी हो रही हैं, फर्जी सिलसिले वार की,
धज्जियां उड़ा रहे हैं एक दूसरे के भ्रष्टाचार की।
ले हाथों में बूंदे गंगाजल की,
खा का रहे हैं ,शपथ।
हम नहीं है डाली भ्रष्टाचार की।
एक दूसरे को जांचों से बचा रहे हैं,
अब भ्रष्टाचार की अग्नि में न्याय को जला रहे हैं।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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