क्या उन बच्चों से गलती हुई,
जो पढ़ने जाते थे,
उनको अनुशासन और मौन इसलिए देते हो,
ताकि वो मौत की नींद सो सके,
आज न कोई सरकारी खेद है,
ना कोई सुरक्षित है संविधान में ll
"झालावाड़ के उन परिवारों ने अपने बच्चों को खोया है, आज क्या इस देश में कोई भी सुरक्षित रह पाएगा या ऐसे ही लिख कर हमेशा खेद प्रकट करते रहें "