उनकी रुख़सती, एक बड़ा वाक़ि'आ हुआ..
दिल ने घबरा के पूछा, आख़िर ये क्या हुआ..।
यूं तो जी भर के देखा उसने, कई दफ़ा हमको..
जाते हुए मुड़कर न देखा, बस यही धोखा हुआ..।
अब उनकी ख़बर की, इन्तेज़ारी का क्या कहें..
अभी गए हैं मगर लगता है, इक अरसा हुआ..।
रह–रह कर आती याद ने, सब ग़म भुला दिए..
सूने मन के भीतर, ये कौन सा नगर है बसा हुआ..।
इस घर की यादों को भी, किराए पर दिया हमने..
कुछ मजबूरियों के चलते, ये मकाँ है बिका हुआ..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




