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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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कविता की खुँटी

                    

अब कौन चलेगा साथ मेरे

कापीराइट गजल

अब कौन सुनेगा बात मेरी ये, कौन चलेगा साथ मेरे
इस तन्हाई के आलम में अब कौन रहेगा साथ मेरे

यह जीवन ढ़लती छाया है ये तो यूं ही ढ़ल जाएगा
इतने कांटों की राहों में, अब कौन चलेगा साथ मेरे

इस ढ़लती उम्र के साए में, दुख ज्यादा सुख थोड़े हैं
इन धधकते आग के शोलों पर कौन चलेगा साथ मेरे

इस अंजान डगर पर अब, हम को ही चलना होगा
गर होता कोई साथी अपना वो ही चलता साथ मेरे

अब हम तन्हा हैं आज यहां, दिल में लिए उदासी
कोई नहीं चलने वाला अब, इन राहों में साथ मेरे

यूं साथ किसी को मिला कहां ऐसे बेजान सफर में
सब अपनों ने छोड़ा मुझको जो रहते थे साथ मेरे

कौन किसी के साथ चला है गम के इस दरिया में
यादव अब किसको बतलाए कौन चलेगा साथ मेरे

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (11)

+

कमलकांत घिरी said

वाह वाह सर जी वाह कितने खूबसूरत ढंग से अपनी तन्हाई को बयां किए आपने, एक एक लफ्ज़ दिल में उतर गए, किंतु आप खुद को अकेला न समझिए आपके साथ तो पूरा लिखंतु परिवार है जो आपको कभी अकेला नहीं करेगा🙏👏👏✍️।।प्रणाम स्वीकार करे।।🙏🙏

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात कमलकांत भाई आपको गजल पसन्द आई, हमें बहुत अच्छा लगा और आपको सादर प्रणाम।

रीना कुमारी प्रजापत said

हम कमलकांत भाई की बात से सहमत है भाईसाहब आप फिक्र क्यों करते हैं हम है पूरा लिखंतु परिवार है आपके साथ इतना बड़ा परिवार तो किसी का नहीं होगा जो सच्चे दिल से एक दूसरे की रिस्पेक्ट और प्यार करता🙏🙏बहुत खूबसूरत रचना, प्रणाम

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित सुप्रभात मेरी प्यारी बहना, आप लोगों के प्यार की संजीवनी ने ही अभी तक जिन्दा रखा हुआ है वर्ना हम भी अपने दूसरे साथियों की तरह आखरी सफर पर निकल लिए होते। आप लोगों का प्यार पाकर मुझे बहुत खुशी हुई, आशा करता हूं कि मुझे आपका प्यार प्राप्त होता रहेगा। आप सभी को सादर प्रणाम।

अर्पिता पांडेय said

सुंदर पंक्तियां जीवन ढ़लती छाया है ये तो यूं ही ढ़ल जाएगा इतने कांटों की राहों में, अब कौन चलेगा साथ मेरे मन को छू गयी आपकी ग़ज़ल मेरी मां के जाने के बाद मैं बहुत परेशान हो गयी थीं बड़े दिनों बाद खुद को संभाला है मैंने कहते हैं ना दुनिया किसी के लिए नहीं रूकती बस हमें चलते जाना है

Lekhram Yadav replied

आदरणीय अर्पिता जी आपको धन्यवाद सहित नमस्कार। आपको गजल अच्छी लगी यह जानकर बेहद खुशी हुई। ईश्वर आपको धैर्य और खुशियां प्रदान करे।

श्रेयसी said

बहुत हीं खुबसूरत रचना 👌👌 लेकिन तन्हाई क्यूँ । सच है या कल्पना में लिखी गई है।आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय श्रेयसी जी, आपको धन्यवाद सहित प्रणाम। जब उम्र 68+हो जाती है तो अक्सर ऐसी अनचाही स्थितियां उत्पन्न हो जाती है, जिनमें तन्हाई ही साथ रहती है। हम आजकल इसी दौर से गुजर रहे हैं। हमारी मनःसिथति को समझने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।

रीना कुमारी प्रजापत said

Kya hum is tanhai ki wajah jaan sakte hai

Lekhram Yadav replied

मेरी प्यारी बहना, इतनी फिक्र मत करो, कुछ बातें न बताएं तो ही अच्छा है, बस आप खुश रहें मेरे लिए यही काफी है, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

श्रेयसी said

Aur mai 50+hun isiliye maine aapko badaa bhaai mana hai aur dekhiye Reena ji ko bhi chintaa ho rahi hai matlab aap akele kanha hain .Hamlog chintaa kar rahen hai matlab hamlog aapne hain .Rahi baat dur se hin puchne ki to Aaj kal apne bachhe bhi padhaai ya job ke kaaran baahar hin rahten hai to kya kijiyega yahi jindgi hai fikar mat🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आपने सही फरमाया, मैं आपकी बात से सहमत हूं , आप लोग मेरी चिन्ता न करें मुझे घर पर हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं, मगर कभी कभी निराशा अपना असर दिखा देती है और हम थोड़ा असहज महसूस करने लगते हैं, लेकिन जल्द ही संभल जाते हैं। आप का बहुत बहुत धन्यवाद।

श्रेयसी said

Fikar not 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

जी हां मैं भी रोज आपकी तरह ही ''फिक्र नाॅट'' की गोली सुबह और शाम दोनों वक्त लेता हूं। आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मेरी प्यारी बहना।

कमलकांत घिरी said

वाह क्या फैमिली है इस family का हिस्सा बनकर मुझे बड़ा गर्व और खुशी महसूस हो रहा है, आप सभी की मेरा विनम्र भाव से सादर प्रणाम🙏🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय कमलकांत भाई, आप भी इस परिवार का ही एक हिस्सा हैं, अभी आप युवा हैं और हर परिवार में बच्चे और युवा भी होते हैं, आप हमसे अलग नहीं हो। हम आपको भी उतना ही सम्मान देते हैं, जितना हम बड़ों को देते है। आपको हार्दिक प्रणाम।

कमलकांत घिरी said

और मुझे लगता है कि मैं यहां आप सभी बड़ों के बीच अपवाद स्वरूप आ गया हूं, क्या यहां मेरे हमउम्र भी कोई है 😄

Lekhram Yadav replied

ऐसा नहीं है कमलकांत भाई, वैसे भी हर कोई सिद्दांत, नियम और कानून अपवाद के साथ ही आते हैं, बिना अपवाद के कोई भी नियम या कानून पूरा नहीं होता, उसी तरह आपके बिना लिखनतु परिवार भी अधूरा है। आप बिल्कुल सही आए हैं। आपको बहुत-बहुत आशिर्वाद एवं हार्दिक प्रणाम।

कमलकांत घिरी said

शुक्रिया सर जी आपको भी मेरा हार्दिक प्रणाम🙏

Lekhram Yadav replied

ओ के थैंक्स।

फ़िज़ा said

बेहतरीन पेशकश - लाज़वाब!!

Lekhram Yadav replied

आदरणीय फिजा जी, सुप्रभात सहित सादर नमस्कार। एक अर्से के बाद आपकी प्रतिक्रिया पढ़ने को मिली, आपके द्वारा की गई प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार।

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