कापीराइट गजल
अब कौन सुनेगा बात मेरी ये, कौन चलेगा साथ मेरे
इस तन्हाई के आलम में अब कौन रहेगा साथ मेरे
यह जीवन ढ़लती छाया है ये तो यूं ही ढ़ल जाएगा
इतने कांटों की राहों में, अब कौन चलेगा साथ मेरे
इस ढ़लती उम्र के साए में, दुख ज्यादा सुख थोड़े हैं
इन धधकते आग के शोलों पर कौन चलेगा साथ मेरे
इस अंजान डगर पर अब, हम को ही चलना होगा
गर होता कोई साथी अपना वो ही चलता साथ मेरे
अब हम तन्हा हैं आज यहां, दिल में लिए उदासी
कोई नहीं चलने वाला अब, इन राहों में साथ मेरे
यूं साथ किसी को मिला कहां ऐसे बेजान सफर में
सब अपनों ने छोड़ा मुझको जो रहते थे साथ मेरे
कौन किसी के साथ चला है गम के इस दरिया में
यादव अब किसको बतलाए कौन चलेगा साथ मेरे
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




