सुबह हुई चितचोर
भोर ये छवि
अति मनभावनी। 1
खग करते चहुंओर
शोर ये कूके
कोयल सांवनी। 2
सागर लिए हिलोर
डोर ये मन
पाकर के चांदनी। 3
नभ षटकोण की
कोर ये कंचन
जैसी काया कामनी। 4
वायु ले हर ओर
ज़ोर ये उमंग
से नृत्यति दामिनी। 5
धरा बरसे खिल्लोर
मोर ये बूंद
पा पतित पावनी। 6
अगन लगी उस छोर
तौर ये बदली
प्रिया सुहावनी। 7
मृदा सी मादक होर
तोड़ ये कृंतक
ओष्ठ चबावनी। 8
घट से ध्वनि रोर
ठोर ये पुलकित
आती जानकी। 9
बैसाख शुक्ल की पोर
फोर नवमी अवतरित
अर्धांगिनी राम की। 10
_____मनीषा सिंह