लीक पेपर में नहीं
संस्थाओं की जिम्मेदारी में है।
लोगों की कार्यकुशलता दक्षता
समझदारी में है।
इतने खर्च मैन पावर सुरक्षा
चाक चौबंद होने के बाद भी
ऐसे कैसे हो जाता है
एग्जामिनेशन शुरू होने से पहले
प्रश्नपत्र छात्रों के हाथ आ जाता है।
हर बात के लिए सरकार पर दोषारोपण
बेबुनियाद है।
लोगों की एक गलती से छात्रों की जीवन में
फ़ैल जाती घोर निराशा अवसाद है।
लोगों का अजीब बर्ताव है।
पैसे के बल पे सोंचों कोई डॉक्टर तो कोई
इंजीनियर बन जाए तो क्या होगा
वही होगा जो मरीज़ की जान और सड़क पुल की जान मंजूरे खुदा होगा।
खुद के कामों पर क्या वे छात्र देश की छोड़ो अपनों का ख्याल रख पायेगा ?
नोच नोच के ऐसा दीमक देश को हीं खा
जायेगा।
क्या ख़ाक भला कर पायेगा।
पेपर लीक से बना कोई ऑफिसर
खुद की भी लीक ना कभी रोक सका है।
लालच लोभ ठग प्रपंच से डिग्री जिसका रंगा है।
सोचों ज़रा अपने प्रधान मंत्री जी का
फाइव ट्रिलियन डॉलर वाला अर्थ कैसे
हासिल होगा।
जब देश का युवा पढ़ाई लिखाई नहीं सिर्फ
लिकाई में मन लगाएगा।
खुद भी फर्जी मन भी फर्जी
क्या फर्जी कभी फ़र्ज़ निभा पाएगा।
देश को और गर्त में ले जायेगा।
इसलिए हर माता पिता की ये जिम्मेवारी है
बच्चों को सुधारने की उनकी बारी है।
पेपर लीक में पैसा व्यर्थ न करें बल्कि
अपने बच्चों को प्रोत्साहित करें
पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दें
जग हंसाई ना करें।
देश के साथ बेवफाई ना करें।
पेपर लीक छात्रों के साथ चीटिंग है।
इससे अब बचने की जरूरत है।
देश में ईमानदारी की हीं जरूरत है।
देश में ईमानदारी की हीं सूरत है...
ईमानदारी अब से शुरू करो
ईमानदारी की कोई नहीं मुहुर्त है..
ईमानदारी देश की ज़रूरत है...
ईमानदारी देश की ज़रूरत है...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




