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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मैं और तुम हैं हम - रीना कुमारी प्रजापत


मैं और तुम हैं हम,
दो जिस्म एक जान हैं हम ।

दुनियां में सबसे जुदा हैं हम
दुनियां में सबसे जुदा हैं हम,
दुनियां की दुनियां से अलग दुनियां हमारी।

ना उदासी सहन होती तुझे मेरी,
ना उदासी सहन होती मुझे तेरी।
मुस्कान तू है मेरी,
मुस्कान मैं हूॅं तेरी
क्योंकि मैं और तुम हैं हम।

मेरा हर दर्द अपना लेता है तू
तेरा हर ज़ख़्म मिटा देंगे हम।

मैं और तुम हैं हम
मैं और तुम हैं हम,
ना आने देंगे कभी
एक दूसरे की ज़िंदगी में कोई ग़म।

दुनियां की ठोकरें उन्हीं के नसीब कर देंगे
जो ठोकरें तुझे खिलाएगा
दुनियां की ठोकरें उन्हीं के नसीब कर देंगे
जो ठोकरें तुझे खिलाएगा,
तेरी मुस्कान छीने कोई
फिर वो मुझसे बच नहीं पाएगा।

मेरा हर दर्द तेरा है तो
तेरा हर ज़ख़्म मेरा होगा
कोई मुझे दर्द दे
ये तुझे बर्दाश्त नहीं और
कोई तुझे ज़ख़्म दे
ये मुझे बर्दाश्त नहीं।

छीन लायेंगे ख़ुदा से
तेरे लिए उसकी ज़िंदगी की हर खुशी
जिसने छीनी हैं तुझसे तेरे हिस्से की खुशी ।
तेरी ज़िंदगी में खुशियां ही खुशियां भर देंगे हम,
तेरी ज़िंदगी से दुःख का नामो निशान मिटा देंगे हम।


~रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

फ़िज़ा said

Just asking ismein main main hun ya main aap hain aur ya tum m hu ya tum aap hain... Bahut Achcha likha aapane mam aaj to kai Dinon bad padhne aayi aapki bahut Si rachnaen mili abhi padh hi rahi hun missed your poems

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku Fiza ji Main bhi apka intezaar kar rhi thi Soch rahi thi ki Fiza ji ab meri poems kyo Nhi padh rahi hai

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