लाचारी - डॉ एच सी विपिन कुमार जैन" विख्यात"
तेरी संकीर्ण सोच से,
तेरे व्यक्तित्व का पता चलता है।
अंकी इंकी डंकी लाल,
काले कारनामों का,पता चलता है।
साथ न दे कोई,
फिर भी अकेले।
जड़ से उखाड़ कर,
फेंक देंगे हम।
नासूर बन गया है तू,
उस अंग को काट देंगे हम।
तेरी फितरत में है,
झूठ ,चोरी,मक्कारी।
अंत समय में,
रह जाएगी बेवसी और लाचारी।
इसी चारदीवारी में,
सर पटकेगा।
तिल तिल करके तू,
एक नई मौत मरेगा।