एक दिन बैठी थी मैं छत पर
नज़र पड़ी एक चींटी पर ,
जा रही थी मुंह में खाना लिए
बच्चों को खिलाने अपने घर ।
रास्ते में आ गई एक बड़ी रुकावट
पर परेशान ना हुई वो चींटी ,
अनगिनत कोशिशें की उसने
बाधा को हटाने की और जीत
गई वो छोटी सी चींटी ।
हार ना मानी उस चींटी ने हरा
दिया उस बाधा को
चींटी की कोशिशें देख मुस्कान
मेरे चेहरे पर आ गई,
और चींटी की जीत देख सोचा
मैं सही दिशा में जा रही।
💫 रीना कुमारी प्रजापत 💫